Dr. Pratyush Vatsala Dwivedi

Associate Professor

sanskrit

Dr. Pratyush Vatsala Dwivedi Download CV
Email: pratyushdwivedi42@gmail.com
Contact: 9450853142
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Biography:

डॉ0 प्रत्यूष वत्सला द्विवेदी की प्रारम्भ से लेकर परास्नातक (एम0ए0) पर्यन्त सभी परीक्षाएँ प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण कर विशेष गौरव प्राप्त किया। एम0ए0 (संस्कृत) की परीक्षा में संपूर्ण विश्वविद्यालय में सर्वाेच्च स्थान द्वारा पांच कुलाधिपति स्वर्ण पदक प्राप्त किये। सी0एस0जे0एम0 विश्वविद्यालय कानपुर से ‘‘महाकवि भवभूति के रूपकों का समीक्षात्मक अनुशीलन’’ विषय पर पी-एच०डी० उपाधि प्राप्त की। जो वर्तमान में डी०बी०एस० कॉलेज, कानपुर में एसोसिएट प्रोफेसर पद को सुशोभित कर रही हैं। 16 विद्याथियों ने आपके निर्देशन में लघु शोध प्रस्तुत किये तथा एक छात्रा आपके निर्देशन में पी-एच०डी० उपाधि से विभूषित हुई। विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में 35 लेख प्रकाशित हुए। आकाशवाणी लखनऊ एवं कानपूर से 40 बार संस्कृत काव्य पाठ किया। आपकी मौखिक समीक्षात्मक एवं व्याख्यापरक 35 ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं। वर्तमान में संस्कृत काव्य संग्रह का संपादन एवं प्रकाशन किया जा रहा है। आपको विद्योत्तमा, संस्कृत भूषण, कवि भारती, शिक्षक रत्न, भवभूति अवार्ड, प्रज्ञा भारती सम्मान, साहित्य वाचस्पति, काव्य कौस्तुभ, संस्कृत चूड़ामणि इत्यादि सम्मान से विभूषित किया। 65 शोध संगोष्ठी में शोध आलेखों को प्रस्तुत किया। माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के द्वारा पुरस्कृत किया गया। 18 संस्थाओं में अध्यक्ष एवं सचिव के पदों को अलंकृत किया।

Faculty Type: Regular
Academic Qualification: Ph.D.
Research Area:

संस्कृत वांग्मय अपनी अनेक मौलिक विशेषताओं के लिए लोक प्रख्यात है. इस वांग्मय में सत्य, शिव और सुन्दर का नैसर्गिक समन्वय है. इस वैज्ञानिक युग में शोध का विशेष महत्व है. मानव अनेक क्षेत्रों में विशेष उन्नति शोध प्रक्रिया के द्वारा ही प्राप्त कर सकता है. भाषा, साहित्य और शोध यह तीनों ही विशेष महत्व रखते हैं. भारत में प्राचीन काल से ही शोध के क्षेत्र में कार्य होता रहा है. मैंने अपने शोध के लिए साहित्य पक्ष का चयन किया. संस्कृत साहित्य चिरकाल से संपूर्ण विश्व में व्याप्त है. नाटक, महाकाव्य, खंडकाव्य, नाटिका, गद्य इत्यादि समस्त रचनाएँ देववाणी में रचित कालजयी हुई हैं. इसके साहित्य पक्ष की अनेक विद्वानों के द्वारा भूरि-भूरि प्रशंशा की गई है. हमने साहित्य के विभिन्न पक्षों को लेकर समय समय पर कार्य किया. शोध साहित्य से सम्बंधित पुस्तकों का लेखन भी किया एवं शोध कार्य भी कराया. साहित्य संगीत कला के द्वारा मानव परिपूर्णता को प्राप्त हुआ. इनके बिना अपूर्ण, मानव जीवन की सम्पूर्णता का आनंद नहीं ले सकता है. हम इसके साहित्यिक पक्ष का अनुसन्धान परख अनुशीलन कर रहे हैं.

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