डी0 बी0 एस0 कालेज, कानपुर में आज दिनांक 27.03.2025 को दिव्गयांजनों का सामाजिक पुनर्वासन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन समारोह आयोेजित किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के सूत्रधार प्रो0 अनिल कुमार मिश्रा, प्राचार्य, डी0बी0एस0 कालेज, ने विषय प्रवर्तन करते हुए दिव्गयांजनों के सामाजिक पुनर्वासन में समाज में व्याप्त पाप- पुण्य की धारणा को एक बड़ी बाधा माना। उन्होंने कहा कि समाज दिव्गयांजनों को स्वयं उनके व माता- पिता के पाप पुण्य से जोडता है, जो दिव्गयांजनों व परिवार के लिए पीड़ादायक होता है साथ ही उनके समाज में समायोजन को भी प्रभावित करता है। महाविद्यालय के आई0क्यू0ए0सी0 प्रभारी प्रो0 के0के0 श्रीवास्तव ने समाज की पाप पुण्य संबन्धित इस सोच को दिव्गयांजनों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए बुरा माना। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो0 जयशंकर पाण्डेय ने कहा कि समाज अगर इसे पाप पुण्य से जोड़ना ही चाहता है तो इसमें दिव्गयांजनों की सेवा को अपने लिए पुण्य के प्रत्येक अवसर के रूप में देखे। उन्होंने दुनिया के तमाम ऐसे लोगों की चर्चा की जो दिव्गयांजनों थे लेकिन समाज को अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके, उन्होने कहा कि ये लोेग हमारी ही तरह सक्षम लोग हैं, अनुसंधानो ने साबित किया है कि अन्य सामान्य लोगों की तुलना में दिव्गयांजन अपने कार्य क्षेत्र में अधिक योगदान देते हैं। प्रो0 सुनील उपाध्याय ने बेहतर पुनर्वासन मे तकनीकी मशीनरी को प्राथमिकता देते हुए कहा कि हम तकनीकी कौशल के आधर पर दिव्गयांजनों के जीवन को बेहतर बनाने का सफल प्रयत्न करने की आवष्यक्ता हैं। कार्यक्रम के प्रभारी प्रो0 राजीव कुमार ने दिव्गयांजनों की विशिष्ट क्षमताओं का आवश्यकतानुसार व्यावसायिक मार्ग-निर्देशन देकर उपयोग में लाने पर बल दिया। उन्होने कहा कि दिव्गयांग कल्याण के नाम से आज अधिकांश गैर सरकारी संस्थायें एवं ट्रस्ट अपने मूल दिव्गयांजनों को छोड़कर अपनी अपनी संस्था के पुनर्वासन पर केन्द्रित हो गये हैं, सामाजिक भाव पीछे छूट गया हैं। आज आवश्यकता है कि सरकार प्रत्येक जिले की जनसंख्यात्मक आधार पर दिव्गयांग परामर्श एवं प्रशिक्षण केन्द्र की स्थापन करें, दिव्गयांगता के विविध क्षेत्रो में कौशल से निपुण प्रशिक्षार्थियों की नियुुक्ति सरकार के द्वारा की जाए, इससे इस क्षेत्र मे विविध रोजगार का सृजन होगा। दिव्यांग बच्चों के माता-पिता को इन केन्द्रो से सम्बद्ध कर मानसिक सम्बल देने की प्रक्रिया को बल मिलेगा। कार्यक्रम का संचालन डा0 हेमलता सांगुडी एवं डा0 प्रतिभा सिंह द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से श्री जगदीप दिवाकर, डा0 सी0एम0सक्सेना, डा0 शैलेन्द्र शुक्ला, डा0 प्रीती राठौर, डा0 ज्ञानप्रकाश डा0 महेन्द्र, डा0 गौतम हाल, डा0 सुनील पाण्ड़ेय, डा0 विवेक पाण्डे, डा0 अर्चना शुक्ला, डा0 मंजू अवस्थी, डा0 अनीता निगम, डा0 रश्मि दुबे, श्री सौम्यदीप भट्टाचार्य, श्री अजय कुमार गुप्ता समेत अन्य शोध छात्र/छात्राएं दीपिका वर्मा, पलक गुप्ता, अंकित अग्रवाल उपस्थित रहे। संगोष्ठी के आज अंतिम सत्र में कुल 21 शोध पत्र प्रस्तुत किये गये एवं दिव्गयांजनों का सामाजिक पुनर्वासन: एक समाजशास्त्रीय अध्ययन पर एक पुस्तक का विमोचन सम्पन्न हुआ।