Congratulation to our principal Prof. A. K. Mishra, Prof. S. K. Upadhyay, Mr. Anuj K. Verma and Dr. Kiran for a new registration of patent design

डी. बी. एस. कॉलेज के प्राचार्य प्रो0 अनिल कुमार मिश्र, शिक्षक- शिक्षा (बीएड) विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोo सुनील कुमार उपाध्याय, सहायक आचार्य श्री अनुज कुमार वर्मा (असिस्टेंट प्रोफेसर) एवं डॉ0 किरण(असिस्टेंट प्रोफेसर) को एक महत्वपूर्ण पेटेंट रजिस्ट्रेशन 2025 में प्राप्त हुआ I यह उपलब्धि सामाजिक व्यव्हार एवं सामुदायिक अंत:क्रिया के अध्ययन एवं विकास में एक महत्वपूर्ण कदम है और हमारे महाविद्यालय के लिये गर्व एवं सम्मान की बात है I

यह नया आविष्कार AI  से चलने वाले स्मार्ट चश्मे(SMART GLASSES) से संबंधित है, जिसे खास तौर पर रियल-टाइम सामाजिक  व्यवहार(SOCIAL BEHAVIOR) और सामुदायिक अंत:क्रिया(COMMUNITY INTERACTION) की निगरानी, विश्लेषण और बेहतर बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये चश्मे हल्के फ्रेम में एडवांस्ड सेंसर, कैमरा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस(ARTIFICIAL INTELLIGENCE) एल्गोरिदम को शामिल करते हैं, जिससे लोगों के बीच अंत:क्रिया(INTERACTION), भावनात्मक स्थिति और जुड़ाव के स्तर की आसानी से निगरानी की जा सके। ये चश्मे सामाजिक माहौल में लोगों के चेहरे के भाव, हाव-भाव, बोलने का लहजा और आंखों की गतिविधियों को कैप्चर करके रियल-टाइम सामाजिक व्यवहार की निगरानी करते हैं। इसमें मौजूद AI एल्गोरिदम खुशी, तनाव, उलझन और ध्यान जैसे इमोशन्स का पता लगाने के लिए इस व्यवहार संबंधी डेटा की व्याख्या करता है, जिससे पहनने वाले या अधिकृत सिस्टम को उपयोगी फीडबैक मिलता है। एक और महत्वपूर्ण फीचर है सामाजिक अंत:क्रिया को बेहतर बनाना, जिसमें ये चश्मे ग्रुप डायनामिक्स का विश्लेषण करके चर्चा में सक्रिय प्रतिभागियों, कम शामिल सदस्यों या संभावित विवादों की पहचान करते हैं। ये संतुलित भागीदारी और बेहतर अंत:क्रिया के लिए सुझाव, संकेत या विजुअल संकेत देकर समावेशी संचार को बढ़ावा देते हैं। यह डिवाइस AI-आधारित इनसाइट्स भी देता है, जहाँ एकत्र किया गया डेटा तुरंत प्रोसेस होता है और सोशल जुड़ाव के स्तर, सामूहिक मनोभाव और व्यवहार के पैटर्न पर विश्लेषण प्रदान करता है। इस विश्लेषण के आधार पर, उपयोगकर्ता को एआर डिस्प्ले या हल्के ऑडियो फीडबैक के माध्यम से सतर्क करने वाले अलर्ट या सुझाव मिल सकते हैं, जिससे चल रही गतिविधि में बाधा डाले बिना अंत:क्रिया की प्रभावशीलता में सुधार होता है।














 
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